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    सूचना प्रोद्योगिकी

    रक्षा सम्पदा महानिदेशालय (डीजीडीई) का सूचना प्रौद्योगिकी प्रभाग रक्षा सम्पदा संगठन से संबंधित विभिन्न परियोजनाओं के विकास और प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह प्रभाग सॉफ्टवेयर विकास को बढ़ावा देने संबंधी आधुनिक तकनीकों का सक्रिय रूप से लाभ उठा रहा है। सूचना प्रौद्योगिकी प्रभाग की प्रमुख परियोजनाएं निम्नलिखित हैं:

    • ई-छावनी पोर्टल
    • रक्षा भूमि
    • रियल टाइम रिकॉर्ड प्रबंधन प्रणाली
    • संग्रहण आधारित लेखा प्रणाली
    • सुविद्या – स्कूल प्रबंधन प्रणाली
    • अतिक्रमण पोर्टल
    • छावनी बोर्डों की संपत्तियों की जियो-टैगिंग
    • डीमैप
    • रक्षा संपदा किराया और अधिग्रहण प्रणाली
    • फ़ाइल ट्रैकिंग और डाक प्रबंधन प्रणाली

    रक्षा सम्पदा महानिदेशालय अन्य मंत्रालयों/सरकारी संगठनों अर्थात् आवास और शहरी मामलों का मंत्रालय, राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र, दूरसंचार विभाग आदि द्वारा प्रदान किए गए निम्नलिखित सॉफ़्टवेयर का भी उपयोग कर रहा है:

    • सरकारी भूमि सूचना प्रणाली
    • ई-ऑफ़िस
    • कोलैबफ़ाइल्स (एनआईसी का उत्पाद)
    • एनआईसी की ईमेल सेवाएँ
    • गतिशक्ति संचार पोर्टल

    आईटी प्रभाग एक अलग नेटवर्क ऑपरेटिंग सेंटर (एनओसी) का अनुरक्षण करता है जो रक्षा संपदा महानिदेशालय के आंतरिक नेटवर्क अवसंरचनात्मक ढांचे के प्रबंधन के लिए जिम्मेदार है। एनओसी संगठन के भीतर सुचारू संचार, कनेक्टिविटी और सुरक्षा सुनिश्चित करता है। यह नेटवर्क के काम-काज की निगरानी करता है, समस्याओं का निवारण करता है और आवश्यक अपग्रेडेशन करता है। आईटी प्रभाग सभी निदेशालयों, रक्षा संपदा कार्यालयों और छावनी बोर्डों में फैले इंट्रानेट की देखरेख करता है। इंट्रानेट एक आंतरिक संचार मंच के रूप में कार्य करता है, जिससे कार्यालयों को सहयोग करने, जानकारी साझा करने और संसाधनों तक पहुँचने की अनुमति मिलती है। यह प्रशासनिक प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने और रक्षा संपदा संगठन के भीतर कुशल संचार को सुविधाजनक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

    • माननीय रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह द्वारा 16-02-2021 को ई-छावनी परियोजना के लोकार्पण के अवसर पर दर्शकों को सम्बोधन।
    • माननीय रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह द्वारा 16-02-2021 को चाणक्य सभागार, राष्ट्रीय रक्षा सम्पदा प्रबंधन संस्थान, दिल्ली छावनी में ई-छावनी परियोजना का लोकार्पण ।
    • माननीय रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह द्वारा 16-02-2021 को ई-छावनी परियोजना के लोकार्पण के अवसर पर दर्शकों को सम्बोधन।
    • माननीय रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह द्वारा 16-02-2021 को चाणक्य सभागार, राष्ट्रीय रक्षा सम्पदा प्रबंधन संस्थान, दिल्ली छावनी में ई-छावनी परियोजना का लोकार्पण ।

    परियोजनाओं का विवरण

    ई-छावनी पोर्टल: डिजिटल शासन की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए तथा छावनी, के कामकाज में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देते हुए, रक्षा सम्पदा महानिदेशालय, रक्षा मंत्रालय, द्वारा 100% ऑनलाइन सेवा प्रदान करने और एक कुशल और नागरिक केंद्रित सेवा वितरण तंत्र को लागू करने के लिए विभिन्न रूपों और प्रक्रियाओं के मानकीकरण के लिए ई-छावनी परियोजना की अवधारणा तैयार की गई थी। ई-छावनी परियोजना के कार्यान्वयन से पहले, छावनी के निवासियों को सेवाओं का लाभ उठाने के लिए छावनी कार्यालय जाना पड़ता था और सेवाओं के वितरण की प्रक्रिया छावनी बोर्डों में मानकीकृत नहीं थी। ई-छावनी परियोजना में एक पर्याप्त सरकारी प्रक्रिया पुनः चालन प्रयास शामिल था, जिसके परिणामस्वरूप छावनी के नागरिकों के लिए कुशल और प्रभावी सेवा वितरण तंत्र के साथ-साथ छावनी बोर्डों के काम-काज की वास्तविक समय आधार पर मॉनिटरिंग भी संभव हुई।ई छावनी पोर्टल (https://echhawani.gov.in) और मोबाइल ऐप एक मल्टी टेनेन्सी नागरिक केंद्रित सॉफ्टवेयर है जिसे देश भर के 61 छावनी बोर्डों के 20 लाख से अधिक निवासियों को एक एकीकृत ई छावनी पोर्टल के माध्यम से सरल, उपयोगकर्ता के अनुकूल तरीके से ऑनलाइन नागरिक सेवाएं प्रदान करने के लिए लागू किया गया है। ई छावनी परियोजना से छावनी बोर्डों के साथ नागरिकों की आपसी भागीदारी बढ़ी है और यह भारत की विभिन्न क्षेत्रीय भाषाओं में सभी सेवाएं देता है। डिजिटल भुगतान के मोड को बढ़ावा देने के उद्देश्य से , छावनी बोर्ड उन नागरिकों को प्रोत्साहन दे रहा है, जो ई छावनी पोर्टल के माध्यम से स्वयं सेवा मोड के माध्यम से सेवा का लाभ उठा रहे हैं।

    ई-छावनी के अंतर्गत प्रमुख सेवाएं

    • सूचना पोर्टल – छावनी बोर्ड वेबसाइट,
    • व्यापार लाइसेंस मॉड्यूल,
    • लोक शिकायत निवारण
    • डिजिटल भुगतान के लिए विविध संग्रहणन मॉड्यूल
    • जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र डाउनलोड
    • ऑनलाइन ओपीडी पंजीकरण
    • जीआईएस आधारित जल कनेक्शन (स्वजल) और सीवरेज कनेक्शन
    • ऑनलाइन संपत्ति कर भुगतान सुविधा
    • सामुदायिक हॉल और पानी के टैंकर की बुकिंग
    • ऑनलाइन भवन योजना स्वीकृति प्रणाली (ओबीपीएएस मॉड्यूल)
    • संपत्ति कर रिकॉर्ड में नामों का नामांतरण
    • किराया संग्रह मॉड्यूल
    • मोबाइल शौचालय लोकेटर सुविधा

    रक्षा भूमि:

    • रक्षा भूमि सॉफ्टवेयर का उद्देश्य छावनियों के साथ-साथ रक्षा संपदा सर्किलों के जीएलआर और एमएलआर के अनुरक्षण हेतु उपयोग करना।
    • आरबी का विकास एनआईसी की मदद से 2006 में शुरू किया गया था। 2012 में डीजीडीई ने रक्षा भूमि को एनआईसी से लिया। फील्ड कार्यालयों की आवश्यकताओं के अनुसार आरबी में 2015 तक, कई बदलाव किए गए हैं।
    • मुख्य अधिशासी अधिकारियों/रक्षा सम्पदा अधिकारियों द्वारा पुराने रक्षा भूमि एप्लीकेशन (रक्षा भूमि 4.0) को अपने स्थानीय सर्वर पर इंस्टॉल कर अनुरक्षित किया गया था।
    • यह स्थानीय स्तर पर छावनी बोर्ड और रक्षा संपदा सर्किल फील्ड कार्यालयों के कर्मचारियों के लिए ही सुलभ है।

    विशेषताएँ:

    • सभी फील्ड कार्यालयों का डाटा एक स्थान पर केन्द्रीय रूप से संग्रहीत किया जाता है।
    • मुख्य अधिशासी अधिकारी/रक्षा सम्पदा अधिकारी केवल एमपीएलएस-वीपीएन के माध्यम से अपने डाटा को एक्सेस कर सकते हैं।
    • प्रधान निदेशक, रक्षा सम्पदा अपने क्षेत्राधिकार वाले डाटा को एक्सेस कर सकते हैं।
    • यह एचटीटीपीएस द्वारा सुरक्षित है।
    • अतिक्रमण मॉड्यूल।
    • एसएमएस गेटवे को फील्ड कार्यालय द्वारा प्रमाणीकृत डाटा को संपादित/हटाने के लिए भी एकीकृत किया गया है।
    • यह जीएलआर सार (पीडीएफ वर्जन) के इन-लाइन डिजिटल प्रमाणपत्र हस्ताक्षर में भी सक्षम है।
    • प्रत्येक उपयोगकर्ता के अनुरोध/गतिविधि को मॉनिटर करने के लिए लेखापरीक्षा लॉग रखा जाता है।
    • स्वतंत्र प्लेटफ़ॉर्म [क्लाइंट में लिनक्स आवश्यक नहीं है]।

    The रियल टाइम रिकॉर्ड मैनेजमेंट सिस्टम (आरटीआरएम) यह रक्षा भूमि रिकॉर्ड के कुशल प्रबंधन हेतु रक्षा संपदा विभाग का एक व्यापक सॉफ्टवेयर है। सॉफ्टवेयर में निम्नलिखित मॉड्यूल शामिल हैं:

    • मास्टर डाटा (रक्षा भूमि)
    • ओल्ड ग्रांट
    • ऑनलाइन लीज नवीनीकरण / विस्तार
    • भूमि का सांकेतिक मूल्य
    • लीज निर्धारण
    • फ्रीहोल्ड
    • अधिग्रहण
    • किराया एवं अर्जन
    • पेड़ काटना
    • राजस्व अभिलेखों में नामांतरण
    • अधिशेष भूमि
    • धन प्राप्ति रसीद
    • अतिक्रमण

    सिस्टम में आरटीआरएम में कोई भी डाटा दर्ज करने के लिए 03 स्तर होंगे अर्थात प्रारूपण, सत्यापन और प्रमाणीकरण जो डाटा की प्रामाणिकता को बढ़ाता है। आरटीआरएम के विभिन्न मॉड्यूल में छावनी बोर्डों और रक्षा संपदा कार्यालयों के प्रदर्शन की बेहतर निगरानी के लिए डीजीडीई और निदेशालय स्तर पर गतिशील डैशबोर्ड और खोज सुविधा प्रदान की की जाती है।

    डीजीडीई या निदेशालय फील्ड कार्यालयों से डाटा मांगे बिना ही भूमि रिकॉर्ड की वर्तमान स्थिति की जानकारी ले सकते हैं, जिससे समय की बचत होगी और पारदर्शिता बढ़ेगी।

    अतिक्रमण पोर्टल: डीजीडीई ने फरवरी 2020 में रक्षा सम्पदा विभाग में अतिक्रमण मॉड्यूल लागू किया। फील्ड कार्यालयों द्वारा वेबसाइट पर दर्ज अतिक्रमण शिकायतों पर की गई कार्रवाई की बेहतर मॉनीटरिंग हेतु यह महानिदेशालय और निदेशालय स्तर पर एक मॉनीटरिंग तंत्र है। इसका लिंक डीजीडीई की वेबसाइट पर “अतिक्रमण रिपोर्ट करें” रूप में दिया गया है। डीजीडीई, निदेशालय और सभी फील्ड कार्यालय इस अतिक्रमण मॉड्यूल में सम्मिलित हैं।

    विशेषताएँ:-

    • अतिक्रमण की रिपोर्ट: शिकायतकर्ता एक प्रपत्र भरकर अतिक्रमण की रिपोर्ट कर सकता है। शिकायतकर्ता द्वारा अतिक्रमण की रिपोर्ट करने के पश्चात एक शिकायत संख्या जनरेट की जाएगी और शिकायतकर्ता को ईमेल के माध्यम से पावती के साथ संबंधित छावनी बोर्ड/रक्षा सम्पदा कार्यालय को सूचना भेजी जाएगी।
    • डैशबोर्ड:- फील्ड कार्यालयों द्वारा प्राप्त, लंबित और संसाधित शिकायतों की स्थिति की जांच करने के लिए डीजीडीई और निदेशालय स्तर पर डैशबोर्ड उपलब्ध कराया गया है।
    • अतिक्रमण स्थिति का अद्यतन: मुख्य अधिशासी अधिकारी/रक्षा सम्पदा अधिकारी अतिक्रमण पर की गई कार्रवाई की स्थिति को अद्यतन करेंगे और आवेदक को उसके ईमेल पर स्थिति की जानकारी दी जाएगी।
    • मामले का कार्यालयों में स्थानांतरण: यदि शिकायतकर्ता द्वारा सूचित अतिक्रमण रिसीवर कार्यालय से संबंधित नहीं है, तो उसे टिप्पणी सहित किसी अन्य अधिकारी को स्थानांतरित किया जाएगा।

    सुविद्या पोर्टल: स्थानीय छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और विभिन्न कौशल प्रदान करने के उद्देश्य से देश भर में 51 छावनी बोर्डों विभिन्न स्कूलों का संचालन करते हैं।

    छावनी क्षेत्रों में नागरिकों के लिए ” इज ऑफ लिविंग” बढ़ाने के लिए, 15 राज्यों में 51 छावनी बोर्डों के प्रबंधन में 183 स्कूलों में स्कूल प्रबंधन प्रणाली लागू की गई है। स्कूल प्रबंधन प्रणाली को डीजीडीई द्वारा बाहरी सलाहकारों के सहयोग से आंतरिक रूप से विकसित किया गया है। माननीय रक्षा मंत्री द्वारा बहुभाषी स्कूल प्रबंधन मॉड्यूल अर्थात सुविद्या को 16 दिसंबर 2022 को लॉन्च किया गया ।

    सुविद्या के द्वारा निम्नलिखित प्रमुख ऑनलाइन सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं :

    • ऑनलाइन प्रवेश
    • स्थानांतरण प्रमाणपत्र ऑनलाइन जारी करना
    • ऑनलाइन गृह कार्य और असाइनमेंट
    • ऑनलाइन शिकायत और घटना की सूचना
    • शुल्क का संग्रहण
    • ऑनलाइन अधिसूचनाएं
    • ऑनलाइन फीडबैक

    स्कूल प्रबंधन प्रणाली के प्रयोग द्वारा अभिभावक स्कूल में प्रवेश संबंधी ऑनलाइन आवेदन, शिकायत निवारण , वास्तविक समय में रिपोर्टिंग, डिजिटल मोड में फीस का भुगतान आदि कर सकते हैं। यह पहल छावनी निवासियों को ” इज ऑफ सर्विस “ प्रदान करती है। स्थानांतरण प्रमाणपत्र जारी करने संबंधी आगामी प्रक्रिया को अभिभावकों हेतु सरल बनाया गया है। इस प्रणाली को अभिभावकों, शिक्षकों, छात्रों और अन्य हितधारकों से उत्साहजनक प्रतिक्रिया मिल रही है। बहुभाषी पोर्टल से सभी हितधारक अपनी क्षेत्रीय भाषाओं में सुविधा का लाभ उठा सकते हैं। यह प्रणाली 07 विभिन्न भाषाओं जैसे (हिंदी, अंग्रेजी, मराठी, बंगाली, कन्नड़, तमिल और गुजराती) इत्यादि में उपलब्ध है।.

    रक्षा सम्पदा मैपिंग पोर्टल : पूरी रक्षा भूमि के डिजिटल आउटपुट अर्थात जियो रेफरेंस शेप फाइल को केंद्रीकृत डाटा बेस सिस्टम में अपलोड किया गया है जिसे रक्षा सम्पदा मैपिंग पोर्टल (डीईएमएपी) कहा गया है। डीईएमएपी को टेक्सटुयल डाटा के साथ एकीकृत किया गया है। खाली भूमि, लीज वाली भूमि, सेवाओं के अधीन वाली भूमि के जीआईएस लेयर डाटा के बेहतर विजुलाइजेशन उद्देश्य से तैयार किए गए है।

     

     

    रक्षा सम्पदा किराया और अधिग्रहण सॉफ्टवेयर : इस पोर्टल को रक्षा भूमि और रक्षा सम्पदा सर्कल की इमारतों के किराए और उनके ब्योरे अनुरक्षित करने के उद्देश्य से विकसित किया गया है। इसमें रिकॉर्ड और किराए के प्रमाणीकरण हेतु तीन स्तर जैसे ड्राफ्टर, वेरिफायर और ऑथेन्टीकेटर है। इनकी एक्सेस डीजीडीई और पीडीडीई को डैश बोर्ड और रिपोर्ट के अवलोकन हेतु उपलब्ध कराई गई है।

    छावनी बोर्डों की परिसंपतियों की जियो टैगिंग : A: सभी छावनी बोर्डों द्वारा जियो कोर्डिनेट को असाइन करते हुए परिसंपतियों की जियो टैगिंग का कार्य पूरा कर लिया है।

    फाइल ट्रैकिंग और डाक प्रबंधन प्रणाली : मंत्रालय या मंत्रालय के विभिन्न विभागों के विभिन्न अनुभागों में भिन्न प्रकार की डाक/ पत्र/आवेदन आते है इन्हें सामान्यत डाक(साधारण), गोपनीय डाक, फाइल प्रबंधन, गुप्त डाक और वीआईपी रेफरेन्स इत्यादि के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। जब भी कोई डाक/पत्र आता है, सबसे पहले उसके प्रकार को चिन्हित किया जाता है। चिन्हित किए जाने के पश्चात उसको डाक रजिस्टर में लिखा जाता है। प्रत्येक प्रकार की डाक/डायरी हेतु एक क्रम संख्या दी जाती है, जिसे डायरी सं. कहा जाता है। प्रत्येक प्रकार के लिए भिन्न डायरी क्रम संख्या को अनुरक्षित किया जाता है। डाक मॉनिटरिंग में अनुरक्षित की जाने वाली सूचना डाक संख्या, डाक का प्रकार, डाक आवक तारीख, पत्र संख्या, प्रेषक जानकारी, विषय, जिस तारीख को प्रस्तुत किया गया, टिप्पणी इत्यादि है। अनेक मामलों में डाक कुछ अधिकारी या अनुभाग को पहुंचाई जाती है और ये प्रेषण कई बार एक ही डाक में होता है। इस प्रेषण जानकारी को भी रजिस्टर में अनुरक्षित किया जाता है।

    मैन्युअल प्रणाली की कमियाँ

    1. बड़े रजिस्टरों का अनुरक्षण
    2. किसी भी प्रश्न का उत्तर ढूँढना कठिन। इसमें काफी समय लगता है।
    3. डाक ढूँढना कठिन है।
    4. किसी विशेष परिस्थिति में प्रश्न का संकलन मुश्किल हो जाता है।

    प्रणाली की विशेषताएँ

    इस सॉफ्टवेयर को मैन्युअल प्रणाली की कमियों से निजात पाने के लिए डिजाइन किया गया है। इसे रक्षा सम्पदा महानिदेशालय में डाक मॉनिटरिंग के कार्यप्रवाह के अनुकूलन अनुसार डिजाइन किया गया है। यह डीजीडीई कार्यालय के सभी अनुभागों की आवक डाक के केंद्रीकृत डायरीकरण एवं रजिस्ट्री अनुभाग से डिस्पैच होने वाले सभी पत्रों और पार्सलों की मॉनिटरिंग, डीजीडीई के विभिन्न अनुभागों से प्राप्त डाक संबंधी कम्प्यूटराइज़ प्रणाली है। इसलिए, डाक मॉनिटरिंग प्रणाली को प्रत्येक दिन प्राप्त और निपटान डाक के रूप में अंतिम छोर तक ट्रैकिंग हेतु विकसित किया गया है। इसके मुख्य तथ्य निम्नलिखित है:-

     

    • यह प्लेटफार्म मुक्त एप्लिकेशन है।
    • यह सर्वर-क्लाइंट ढांचा है जिसमें क्लाइंट सिस्टम के लिए वेब ब्राउज़र इंस्टाल करना होता है तथा उसे डीजीडीई लैन (LAN) से ही जोड़ा जाना चाहिए ।
    • इसमें डाक संबंधी सभी सूचना मैन्यूल प्रक्रिया अनुसार अनुरक्षित की जाती है जिससे प्रणाली में डाक प्रविष्टि की आवृति खत्म हो गई है।
    • बड़ी संख्या में रजिस्टर रखने की आवश्यकता नहीं पड़ती।
    • यह प्रणाली विभिन्न पैरामीटरों के आधार पर डाक में विभिन्न संयोजन में त्वरित खोज को आसान बनाती है।
    • आवक दस्तावेजों या डाक (मेल) को वरीयता देना और यह सुनिश्चित करना कि उनका निपटान पूर्व निर्धारित समयवधि के भीतर हो गया है।
    • यह प्रणाली मल्टी यूजर और उच्च यूजर फ्रेंडली है।
    • यह प्रणाली विभिन्न फॉर्मेट में रिपोर्ट जेनरेट करती है।

    रक्षा सम्पदा केन्द्रीय कोष (Repository) प्रणाली आईटी डिवीजन (डीजीडीई) द्वारा संसदीय प्रश्न, फील्ड कार्यालयों से प्राप्त सर्वेक्षण रिपोर्ट, सीएजी/पीएसी रिपोर्ट एवं अन्य महत्वपूर्ण मामलों से संबन्धित सूचना की केन्द्रीय प्रणाली में अपलोडिंग हेतु रक्षा सम्पदा केन्द्रीय कोष प्रणाली (डीईसीआरईएस) की अवधारणा लागू की गई है। जिसमें दस्तावेजों के साथ जानकारी को अपलोड, अनुरक्षित और प्रणाली से आसानी से पुन: प्राप्त किया जा सकता है। डीईसीआरईएस एप्लिकेशन में निम्नलिखित मॉड्यूल शामिल है:-

    1. संसदीय प्रश्न मॉड्यूल
    2. सर्वेक्षण रिपोर्ट मॉड्यूल
    3. पावर पॉइंट प्रजेंटेशन मॉड्यूल
    4. संसदीय मामलों की स्थायी समिति रिपोर्ट मॉड्यूल
    5. सीएजी/पीएसी रिपोर्ट मॉड्यूल

    डीजीडीई ने अक्रूअल (Accrual) आधारित (दोहरी प्रविष्टि) लेखा प्रणाली, एबीएएस (ABAS) आईटी परिवेश (Environment) में सफलता पूर्वक आरंभ की है जहां सभी 62 छावनी बोर्डों के दिन प्रतिदिन वित्तीय लेन देन को एक निश्चित समय फ्रेम में प्रणाली में एकीकृत किया गया है, जिससे छावनियों के पूंजी और राजस्व प्रशासन में बेहतर सटीकता, पारदर्शिता और दक्षता सुनिश्चित हो सके। इससे पूर्व छावनी लेखा नियम 1924 के अधीन नकद पावती एवं नकद भुगतान के आधार पर लेखा परीक्षा की जाती थी इसमें राजस्व और व्यय – जिसमें वास्तविक पावती या भुगतान किया गया हो, उस अवधि को दर्शाने वाली घटना के समय पर ध्यान नहीं दिया जाता था। अब बैलेंस सीट, परिसंपतियों का पूंजीकरण और देनदारियां निर्धारित करना इत्यादि की अवधारणा सीबीएआर 2020 द्वारा साकार की गई।

    छावनी बोर्ड आगरा और छावनी बोर्ड सेंट थॉमस माउंट जैसी दो पायलट लोकेशन पर परीक्षण और सिद्ध करने के पश्चात सीबीएआर 2020 से पूरे राष्ट्र में सभी छावनियों में एबीएएस – अक्रूअल (Accrual) आधारित लेखा प्रणाली 01 अप्रैल, 2020 से प्रभावी, के कार्यान्वयन का मार्ग प्रशस्त हुआ है। इसके पश्चात इसे सभी छावनी बोर्डों में लागू किया गया।

    सॉफ्टवेयर सभी छावनी बोर्डों हेतु वित्तीय स्टेटमेंट जनरेट करता है। स्थानीय सी एवं एजी (C&AG) का कार्यालय लेखा परीक्षा करता है।