सर्वेक्षण प्रभाग लगभग 17.99 लाख एकड़ रक्षा भूमि का सर्वेक्षण पूरा करने का प्रभारी था, जिसमें से लगभग 1.61 लाख एकड़ भूमि 61 अधिसूचित छावनियों के भीतर स्थित है। लगभग 16.38 लाख एकड़ भूमि छावनी के बाहर कई पॉकेटों में फैली हुई है। 16.38 लाख एकड़ भूमि में से लगभग 18,460 एकड़ भूमि या तो राज्य द्वारा किराए पर ली गई है या अन्य सरकारी विभागों को हस्तांतरण के कारण रिकॉर्ड से हटाने का प्रस्ताव है। सर्वेक्षण के लिए कुल 17.78 लाख एकड़ भूमि की पहचान की गई थी। रक्षा संपदा महानिदेशालय ने अक्टूबर 2018 से रक्षा भूमि का सर्वेक्षण शुरू किया।
चरण-II सर्वेक्षण पूरा हो चुका है। देश भर में लगभग 4,900 पॉकेटों में अवस्थित भूमि के विपुल परिमाण, कई स्थानों पर दुर्गम भूभाग और विभिन्न हितधारकों की सहबद्धता ने इस सर्वेक्षण को एक जटिल कार्य बना दिया ।
सर्वेक्षण में इलेक्ट्रॉनिक टोटल स्टेशन (ईटीएस) और डिफरेंशियल ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (डीजीपीएस) का उपयोग किया गया। इस प्रक्रिया को और तेज करने तथा विश्वसनीय, मजबूत और समयबद्ध परिणामों के लिए ड्रोन इमेजरी और सैटेलाइट इमेजरी आधारित सर्वेक्षण का लाभ उठाया गया।
पहली बार, राजस्थान में लाखों एकड़ रक्षा भूमि के सर्वेक्षण के लिए ड्रोन इमेजरी आधारित सर्वेक्षण तकनीक का उपयोग किया गया। पूरे क्षेत्र का सर्वेक्षण भारत के महासर्वेक्षक की मदद से कुछ ही हफ्तों में किया गया, जिसमें पहले सालों लग जाते थे। इसके अलावा, कई रक्षा भूमि पॉकेट्स खासकर लाखों एकड़ रक्षा भूमि का पहली बार सैटेलाइट इमेजरी आधारित सर्वेक्षण किया गया।
सर्वेक्षण रिपोर्टों का परिणाम विविध हित धारकों के साथ भू रिकॉर्ड के समाधान हेतु उठाया जा सकता है। रक्षा संपदा कार्यालयों और छावनी बोर्डों ने सर्वेक्षण परिणामों के आधार पर अभिलेखों को अपडेट करना आरंभ कर दिया है। जीआईएस मानचित्र, डिजिटल फाइलें और अद्यतित भूमि डाटा से रक्षा मंत्रालय रियल टाइम आधार पर भूमि डाटा को एक्सेस कर सकेगा जिससे भूमि के अधिकतम उपयोग निर्णय में समय की कमी आएगी, अवसंरचना परियोजना हेतु भूमि स्थानांतरण जल्द हो सकेगा और नई भूमि का भी अधिग्रहण किया जा सकेगा । इससे सेना, वायु सेना, नौ सेना और रक्षा संपदा महानिदेशालय को अतिक्रमण रोकने में मदद मिलेगी।
इसके अलावा, जो रक्षा भूमि खाली पड़ी है और अतिक्रमण की आशंका है उसे थ्रेट मैट्रिक्स के आकलन के आधार पर संरक्षण के लिए चिह्नित किया गया है। संपूर्ण रक्षा भूमि से संबंधित सभी भूमि डेटा को डिजिटाइज़ किया गया है और सभी रक्षा भूमि पॉकेट्स की जियो-रेफरेंस्ड शेप फाइलें तैयार की गई हैं। इन्हें संकलित कर यूनिफाइड पोर्टल पर एकीकृत किया गया है। सर्वेक्षण चरण-1 और चरण-2 के परिणामों, जीएलआर वर्गीकरण, रक्षा भूमि के प्रबंधन, पट्टों आदि को स्पष्ट रूप से दर्शाने वाली विभिन्न लेयर पोर्टल पर अपलोड की गई हैं। इन लेयर को सैटेलाइट इमेजरी में अधिरोपित किया गया है। सभी संबंधित विवरण, जैसे पॉकेट का नाम, आरबी आईडी, क्षेत्र, संगत विवरण, सेवा और प्रबंधन को पोर्टल में एकीकृत किया गया है। इस पोर्टल को डी-मैप (डीईएमएपी) के नाम से जाना जाता है। डी-मैप पोर्टल रक्षा भूमि से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी संग्रहीत करता है जिससे शीघ्र और सुविचारित निर्णय क्षमता प्रक्रियाएँ सिद्ध होती है।