सेना, नौसेना, वायुसेना, रक्षा अनुसंधान तथा विकास संगठन व अन्य रक्षा स्थापनाओं के लिए भूमि के अधिग्रहण हेतु रक्षा संपदा विभाग एक नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करता है। किसी विशेष परियोजना जिसमें भूमि का अधिग्रहण निहित हो, की रक्षा मंत्रालय से सिद्धांत रूप में स्वीकृति मिल जाने के उपरान्त प्रस्ताव तैयार करने हेतु स्थानीय सेना प्राधिकारी अफसर के एक बोर्ड का आयोजन करते हैं। भूमि तथा परिसंपत्तियों की लागत के साथ-साथ पुनःस्थापन व पुनर्वास संबंधी पहलुओं पर अफसरों के बोर्ड को रक्षा संपदा अधिकारी परामर्श देते हैं। रक्षा संपदा विभाग की सिफारिशों के आधार पर रक्षा मंत्रालय भूमि के अधिग्रहण की स्वीकृति प्रदान करता है। सरकार से स्वीकृति प्राप्त होने पर रक्षा संपदा अधिकारी भूमि के अधिग्रहण हेतु उपायुक्त/सक्षम प्राधिकारी को मांगपत्र भेजता है। संबंधित भूमि अधिग्रहण अधिनियम के अंतर्गत सांविधिक अधिसूचना शीघ्र प्रकाशित करवाने के लिए वह भूमि अधिग्रहण कलेक्टर/राज्य सरकार से सम्पर्क करता है। रक्षा संपदा अधिकारी इस अधिनियम की धारा 9 तथा 11 के अंतर्गत कार्यवाही में शामिल होता है तथा प्रस्तावित अधिग्रहण से संबंधित सरकार द्वारा अपनाई गई दरों के आधार को औचित्यपूर्ण बनाता है। कलेक्टर द्वारा तैयार किए गए ड्राफ्ट अवार्ड का विश्लेषण किया जाता है तथा इस संबंध में रक्षा संपदा महानिदेशालय द्वारा सरकार को उपयुक्त सिफारिश की जाती है। भूमि के शीघ्र अधिग्रहण हेतु अधिग्रहण की कार्यवाही के दौरान आने वाले किसी भी अदालती केस की पैरवी सरकार की ओर से रक्षा संपदा अधिकारी द्वारा की जाती है।
संबंधित अधिनियम के अंतर्गत अवार्ड की घोषणा होने पर रक्षा संपदा अधिकारी सक्षम प्राधिकारी के पास मुआवजा राशि जमा करता है, अधिग्रहित भूमि को अपने कब्जे में लेकर उसे प्रयोक्ता सेना को सौंप देता है। रक्षा संपदा अधिकारी सेना भूमि रजिस्टर तथा रक्षा भूमि डाटाबेस में आवश्यक प्रविष्टियां भी करता है।
निचली अदालत से लेकर उच्चतम अदालत तक भूमि के अधिग्रहण से उत्पन्न सभी मुकदमे सरकार की ओर से रक्षा संपदा अधिकारी संभालता है। विभिन्न स्तरों पर न्यायालयों की डिक्री के अनुसार मुआवजा राशि का भुगतान सक्षम प्राधिकारी की स्वीकृति मिलने के उपरान्त रक्षा संपदा अधिकारी द्वारा मूल्यांकित तथा जारी किया जाता है।
परियोजना प्रभावित परिवारों के लिए पुनःस्थापन तथा पुनर्वास प्रस्ताव की जांच रक्षा संपदा अधिकारी द्वारा की जाती है तथा इसे स्वीकृति हेतु सरकार को भेजा जाता है।
अधिग्रहण प्रभाग के कार्य
- भूमि के अधिग्रहण से संबंधित विभिन्न पहलुओं के बारे में नीति बनाना।
- भूमि के अधिग्रहण से संबंधित मामलों पर रक्षा मंत्रालय को परामर्श देना।
- भूमि अधिग्रहण परियोजनाओं की मानीटरी करना।
- भूमि अधिग्रहण संबंधी मामलों के बारे में राज्य सरकारों से बात करना।
- अधिग्रहित की जाने वाली भूमि तथा परिसंपत्तियों के बाजार मूल्य की जांच तथा मूल्यांकन करना।
- सरकार की स्वीकृति हेतु भूमि अधिग्रहण तथा पुनर्वास प्रस्ताव तैयार करना।
- भूमि के अधिग्रहण लागत के लिए धन की स्वीकृति/फंड जारी करना।
- रक्षा मंत्रालय की स्वीकृति प्राप्त करने हेतु प्रभारित शीर्ष व्यय की जांच करना।
- भूमि अधिग्रहण से उत्पन्न सभी अदालती मामलों की पैरवी करना।